Sunday, June 12, 2016

''नव कुंडलिया 'राज' छंद'' में रमेशराज के 6 बालगीत




''नव कुंडलिया 'राजछंद'' में रमेशराज के 6 बालगीत

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|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" जल-संकट हो, अगर कटे वन
अगर कटे वन, सूखे सावन
 सूखे सावन, सूखे भादों
सूखे भादों, खिले न सरसों
खिले न सरसों, रेत प्रकट हो
रेत प्रकट हो, जल-संकट हो | "      
              (रमेशराज )


|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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मत मरुथल को और बढ़ा तू
और बढ़ा तू मत गर्मी-लू,
मत गर्मी-लू, पेड़ बचा रे
पेड़ बचा रे, वृक्ष लगा रे,
वृक्ष लगा रे, तब ही जन्नत
तब ही जन्नत, तरु काटे मत  |      
              (रमेशराज )


|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" मत मरुथल को और बढ़ा तू
और बढ़ा तू मत गर्मी-लू,
मत गर्मी-लू, पेड़ बचा रे
पेड़ बचा रे, वृक्ष लगा रे,
वृक्ष लगा रे, तब ही जन्नत
तब ही जन्नत, तरु काटे मत  | "      
              (रमेशराज )


|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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नटखट बन्दर  छत के ऊपर
छत के ऊपर , झांके  घर - घर
झांके  घर - घर , कहाँ माल है ?
कहाँ माल है ? कहाँ दाल है ?
कहाँ दाल है ? मैं खाऊँ झट
मैं खाऊँ झट , सोचे नटखट | "      
              (रमेशराज )


|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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" बबलू जी जब कुछ तुतलाकर
 तुतलाकर बल खा इठलाकर ,
इठलाकर थोड़ा मुस्काते
मुस्काते या बात बनाते ,
बात बनाते तो हंसते सब
सब संग होते बबलू जी जब |                          
(रमेशराज )


|| 'नव कुंडलिया 'राज' छंद' ||
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फूल - फूल पर तितली रानी
तितली रानी लगे सुहानी ,
लगे सुहानी इसे न पकड़ो
इसे न पकड़ो, ये जाती रो ,
ये जाती रो खेत - कूल पर
खेत - कूल पर फूल - फूल पर |                       

(रमेशराज )

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