''नव कुंडलिया 'राज' छंद'' में रमेशराज के 6 बालगीत
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|| 'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद'
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"
जल-संकट हो, अगर कटे वन
अगर
कटे वन, सूखे सावन
सूखे सावन,
सूखे भादों
सूखे
भादों, खिले न सरसों
खिले
न सरसों, रेत प्रकट हो
रेत
प्रकट हो, जल-संकट हो
| "
(रमेशराज )
|| 'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद'
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मत
मरुथल को और बढ़ा तू
और
बढ़ा तू मत गर्मी-लू,
मत
गर्मी-लू, पेड़ बचा रे
पेड़
बचा रे, वृक्ष लगा रे,
वृक्ष
लगा रे, तब ही जन्नत
तब
ही जन्नत, तरु काटे
मत |
(रमेशराज )
|| 'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद'
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"
मत मरुथल को और बढ़ा तू
और
बढ़ा तू मत गर्मी-लू,
मत
गर्मी-लू, पेड़ बचा रे
पेड़
बचा रे, वृक्ष लगा रे,
वृक्ष
लगा रे, तब ही जन्नत
तब
ही जन्नत, तरु काटे
मत | "
(रमेशराज )
|| 'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद'
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नटखट
बन्दर छत के ऊपर
छत
के ऊपर , झांके घर - घर
झांके
घर - घर , कहाँ
माल है ?
कहाँ
माल है ? कहाँ दाल है
?
कहाँ
दाल है ? मैं खाऊँ झट
मैं
खाऊँ झट , सोचे नटखट
| "
(रमेशराज )
|| 'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद'
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" बबलू जी जब कुछ तुतलाकर
तुतलाकर
बल खा इठलाकर ,
इठलाकर थोड़ा मुस्काते
मुस्काते या बात बनाते ,
बात बनाते तो हंसते सब
सब संग होते बबलू जी जब |
(रमेशराज )
|| 'नव
कुंडलिया 'राज'
छंद'
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फूल - फूल पर तितली
रानी
तितली रानी लगे सुहानी ,
लगे सुहानी इसे न पकड़ो
इसे न पकड़ो, ये
जाती रो ,
ये जाती रो खेत - कूल पर
खेत - कूल पर फूल - फूल पर |
(रमेशराज )
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